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 सोलर पैनल इंस्टॉलेशन में वायरिंग और कनेक्शन कैसे किया जाता है?

आज के समय में जब हर कोई बिजली के बढ़ते खर्च से परेशान है, तो लोग सोलर पैनल इंस्टॉलेशन को अपनाने लगे हैं। सोलर पैनल

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सोलर पैनल इंस्टॉलेशन में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों की लिस्ट

आज के समय में जब बिजली की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं और ऊर्जा की मांग भी तेज़ी से बढ़ रही है, तब लोग सोलर पैनल इंस्टॉलेशन को सबसे बेहतर विकल्प मान रहे हैं। सोलर पैनल हमें न केवल स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा देते हैं, बल्कि लंबे समय तक बिजली बिल में भारी बचत भी कराते हैं।

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि एक पूरा सोलर पावर सिस्टम केवल पैनल से नहीं बनता? इसके लिए कई तरह के उपकरण और मशीनें जरूरी होती हैं। अगर इनमें से कोई भी उपकरण सही क्वालिटी का न हो, तो सिस्टम का प्रदर्शन प्रभावित हो सकता है।

इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि सोलर पैनल इंस्टॉलेशन में कौन-कौन से उपकरण इस्तेमाल होते हैं और उनकी क्या भूमिका होती है।

1. सोलर पैनल (Solar Panels)

सोलर पावर सिस्टम का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा पैनल ही हैं।

  • ये सूर्य की रोशनी को डीसी (DC) बिजली में बदलते हैं।
  • पैनल आमतौर पर दो प्रकार के होते हैं – मोनोक्रिस्टलाइन और पॉलीक्रिस्टलाइन
  • सही पैनल चुनने से बिजली उत्पादन पर सीधा असर पड़ता है।

ध्यान रखने वाली बात: पैनल की वॉट क्षमता (Wattage) और दक्षता (Efficiency) आपके बिजली की जरूरत के हिसाब से होनी चाहिए।

2. सोलर इन्वर्टर (Solar Inverter)

इन्वर्टर को अक्सर सोलर सिस्टम का दिल (Heart) कहा जाता है।

  • यह पैनल से मिलने वाली DC बिजली को AC बिजली में बदलता है।
  • घर और दफ्तरों में सभी उपकरण AC पर ही चलते हैं।
  • इन्वर्टर तीन प्रकार के होते हैं – ऑन-ग्रिड, ऑफ-ग्रिड और हाइब्रिड

सही इन्वर्टर का चुनाव आपके क्षेत्र की जरूरत और बिजली कटौती की स्थिति पर निर्भर करता है।

3. बैटरी (Solar Battery)

बैटरी का काम है बिजली को स्टोर करना।

  • यह खासतौर पर ऑफ-ग्रिड और हाइब्रिड सिस्टम में जरूरी होती है।
  • दिन में अतिरिक्त बनी बिजली बैटरी में स्टोर होती है और रात में या बिजली कटौती के समय काम आती है।
  • मार्केट में लिथियम-आयन बैटरी और लेड-एसिड बैटरी सबसे आम हैं।

अच्छी बैटरी से आपको 24×7 बिजली मिल सकती है, खासकर उन इलाकों में जहाँ बिजली कटौती ज्यादा होती है।

4. चार्ज कंट्रोलर (Charge Controller)

  • यह बैटरी को ओवरचार्ज या डीप डिस्चार्ज होने से बचाता है।
  • बैटरी की लाइफ और परफॉर्मेंस बढ़ाने के लिए चार्ज कंट्रोलर बेहद जरूरी है।
  • आजकल कई हाइब्रिड इन्वर्टर में चार्ज कंट्रोलर पहले से ही इनबिल्ट आता है।

5. DC Distribution Box (DCDB)

  • यह पैनल से निकलने वाली DC बिजली को नियंत्रित और सुरक्षित करता है।
  • इसमें फ्यूज, MCB और SPD (Surge Protection Device) लगे होते हैं।
  • अगर अचानक करंट बढ़ जाए या शॉर्ट सर्किट हो, तो यह सिस्टम को बचाता है।

6. AC Distribution Box (ACDB)

  • इन्वर्टर से निकलने वाली AC बिजली को सुरक्षित और नियंत्रित करता है।
  • यह बिजली को आपके घर या दफ्तर के मेन सप्लाई से जोड़ता है।
  • यह भी MCB और सेफ़्टी डिवाइस के साथ आता है।

7. MC4 कनेक्टर (MC4 Connectors)

  • यह छोटे-छोटे दिखने वाले कनेक्टर होते हैं जो पैनलों को आपस में जोड़ते हैं।
  • यह कनेक्शन को वाटरप्रूफ और सुरक्षित बनाते हैं।
  • गलत कनेक्टर इस्तेमाल करने से शॉर्ट सर्किट या पावर लॉस हो सकता है।

8. सोलर केबल्स (Solar Cables)

  • पैनल, इन्वर्टर और बैटरी को जोड़ने के लिए खासतौर पर सोलर ग्रेड केबल्स का इस्तेमाल होता है।
  • ये UV प्रोटेक्टेड और हीट रेसिस्टेंट होते हैं।
  • सही मोटाई (thickness) की केबल बिजली की बर्बादी कम करती है।

9. माउंटिंग स्ट्रक्चर (Mounting Structure)

  • पैनलों को छत या ज़मीन पर मजबूती से लगाने के लिए इसका उपयोग होता है।
  • यह स्ट्रक्चर आमतौर पर गैल्वनाइज्ड आयरन या एल्युमिनियम का होता है।
  • पैनलों का सही एंगल और दिशा तय करने में यह मदद करता है।
  •  सही एंगल पर पैनल लगाने से बिजली उत्पादन 20-25% तक बढ़ सकता है।

10. अर्थिंग और लाइटनिंग अरेस्टर (Earthing & Lightning Arrester)

  • यह सिस्टम को बिजली के झटकों और आकाशीय बिजली (Lightning) से बचाता है।
  • हर सोलर इंस्टॉलेशन के साथ कम से कम 2-3 अर्थिंग पॉइंट्स जरूरी होते हैं।
  • इससे पूरा सिस्टम सुरक्षित और लंबे समय तक चलता है।

11. नेट मीटर (Net Meter)

  • ऑन-ग्रिड सिस्टम में नेट मीटर बेहद जरूरी होता है।
  • यह ग्रिड को भेजी गई और ग्रिड से ली गई बिजली का हिसाब रखता है।
  • नेट मीटरिंग से आपको बिजली बिल में क्रेडिट या बचत मिलती है।

12. अन्य उपकरण

  • जंक्शन बॉक्स – तारों को व्यवस्थित रखने के लिए।
  • कंड्यूट पाइप्स – केबल्स को सुरक्षित रखने के लिए।
  • SPD (Surge Protection Device) – बिजली के उतार-चढ़ाव से बचाने के लिए।
  • MCB/Isolator Switch – सिस्टम को जरूरत पड़ने पर तुरंत बंद करने के लिए।

निष्कर्ष

  • सोलर पैनल इंस्टॉलेशन केवल पैनल लगाने भर का काम नहीं है। इसमें दर्जनों उपकरणों की जरूरत होती है और हर उपकरण की अपनी खास भूमिका होती है।
  •  सही पैनल, इन्वर्टर और बैटरी के साथ-साथ DCDB, ACDB, MC4 कनेक्टर, सोलर केबल्स, माउंटिंग स्ट्रक्चर और अर्थिंग जैसे उपकरण भी उतने ही जरूरी हैं।
  • अगर आप सोलर सिस्टम इंस्टॉल करवाने जा रहे हैं, तो हमेशा क्वालिटी वाले उपकरण चुनें और किसी प्रोफेशनल इंस्टॉलर से काम कराएं। इससे आपका सिस्टम लंबे समय तक सुरक्षित रहेगा और आपको बिजली बिल से छुटकारा मिलेगा।