Blogs

Speak to solar expert Request a call back to discuss your solar needs.

Let us analyse your electricity bills to find the best solar panels and system for your household or business.

 सोलर पैनल इंस्टॉलेशन में वायरिंग और कनेक्शन कैसे किया जाता है?

आज के समय में जब हर कोई बिजली के बढ़ते खर्च से परेशान है, तो लोग सोलर पैनल इंस्टॉलेशन को अपनाने लगे हैं। सोलर पैनल

Read More »

Send A Message!

नेट मीटरिंग क्या है और सोलर इंस्टॉलेशन में यह कैसे काम करता है?

आज के समय में जब बिजली के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं और पर्यावरण प्रदूषण भी एक बड़ी समस्या बन चुका है, तो लोग तेज़ी से सौर ऊर्जा (Solar Energy) की तरफ़ रुख कर रहे हैं। सोलर पैनल लगाने से हम न केवल अपनी बिजली की ज़रूरत खुद पूरी कर सकते हैं, बल्कि अतिरिक्त बिजली को ग्रिड में बेचकर आय भी कमा सकते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में सबसे अहम भूमिका निभाता है – नेट मीटरिंग (Net Metering)

तो आइए समझते हैं कि नेट मीटरिंग क्या है और सोलर इंस्टॉलेशन में यह कैसे काम करता है।

नेट मीटरिंग क्या है?

सीधे शब्दों में कहें तो नेट मीटरिंग एक बिलिंग मैकेनिज़्म है, जिसके ज़रिए आप अपने सोलर पैनल से बनी अतिरिक्त बिजली को बिजली कंपनी (DISCOM) को भेज सकते हैं। इसके बदले में आपके बिजली बिल में क्रेडिट मिल जाता है।

मतलब, अगर आपने ज़रूरत से ज़्यादा बिजली बनाई है तो वो बेकार नहीं जाएगी। वो ग्रिड में जाएगी और आपकी अगली बिजली खपत में एडजस्ट हो जाएगी।

यह कैसे काम करता है?

नेट मीटरिंग सिस्टम को समझने के लिए इसे 3 चरणों में बाँटा जा सकता है:

1. बिजली उत्पादन (Generation)

आपके घर की छत पर लगे सोलर पैनल सूरज की रोशनी को बिजली में बदलते हैं। यह बिजली पहले आपके घर की ज़रूरतों को पूरा करती है – जैसे पंखा, लाइट, फ्रिज, पंप आदि चलाना।

2. अतिरिक्त बिजली ग्रिड में भेजना (Export to Grid)

अगर दिन में आपके घर की खपत कम है और सोलर पैनल ज़्यादा बिजली बना रहे हैं, तो वह अतिरिक्त बिजली ग्रिड में भेज दी जाती है।

3. बिल एडजस्टमेंट (Billing)

महीने के अंत में बिजली कंपनी आपको बिजली बिल भेजती है। इस बिल में एक स्मार्ट मीटर (Net Meter) यह रिकॉर्ड करता है कि आपने कितनी बिजली ग्रिड से ली (Import) और कितनी बिजली ग्रिड में भेजी (Export)

  • अगर आपने जितनी बिजली ली है, उससे ज़्यादा बिजली भेजी है, तो आपके अगले बिल में क्रेडिट मिलेगा।
  • अगर आपने कम बिजली बनाई और ज़्यादा ली, तो सिर्फ़ उतना ही बिल देना होगा।

इसी को कहा जाता है नेट मीटरिंग।

एक आसान उदाहरण से समझें

मान लीजिए आपके घर में 5 kW का सोलर सिस्टम लगा है।

  • एक महीने में आपने कुल 600 यूनिट (kWh) बिजली बनाई।
  • आपके घर की खपत रही 400 यूनिट।
  • मतलब 200 यूनिट बची हुई बिजली ग्रिड में भेज दी।

     

अब अगर उसी महीने आपने 100 यूनिट बिजली ग्रिड से भी ली,
तो आपके बिल की गणना होगी:
600 (उत्पादन) – 200 (ग्रिड में भेजी गई) – 100 (ग्रिड से ली गई) = 0

इसका मतलब आपका बिजली बिल ज़ीरो हो जाएगा, और कभी-कभी आपको बिजली कंपनी से क्रेडिट भी मिल सकता है।

नेट मीटरिंग के लिए ज़रूरी उपकरण

नेट मीटरिंग सिस्टम में कुछ खास उपकरणों की ज़रूरत होती है:

  1. सोलर पैनल – बिजली उत्पादन के लिए।
  2. इन्वर्टर – DC बिजली को AC में बदलने के लिए।
  3. नेट मीटर (Bi-directional meter) – यह बताता है कि आपने कितनी बिजली ली और कितनी दी।

ग्रिड कनेक्शन – आपकी अतिरिक्त बिजली को ग्रिड में भेजने के लिए।

नेट मीटरिंग के फायदे

नेट मीटरिंग से घर, समाज और पर्यावरण – तीनों को लाभ मिलता है:

  1. बिजली बिल में भारी बचत
    आपका बिजली बिल या तो बहुत कम हो जाएगा या ज़ीरो तक पहुँच सकता है।
  2. निवेश पर अच्छा रिटर्न (ROI)
    सोलर इंस्टॉलेशन की लागत कुछ ही सालों में निकल जाती है। उसके बाद सालों तक मुफ़्त बिजली का फायदा मिलता है।
  3. पर्यावरण की सुरक्षा
    सौर ऊर्जा ग्रीन एनर्जी है, इससे प्रदूषण नहीं होता और कार्बन फुटप्रिंट घटता है।
  4. बिजली कंपनियों को मदद
    दिन में ग्रिड पर लोड कम हो जाता है क्योंकि लोग अपनी बिजली खुद बना लेते हैं।

ऊर्जा आत्मनिर्भरता
भारत जैसे देश के लिए यह बड़ा कदम है, जिससे आयातित ऊर्जा पर निर्भरता कम होगी।

चुनौतियाँ और सीमाएँ

हालाँकि नेट मीटरिंग बेहद फायदेमंद है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी हैं:

  1. सरकारी नीतियों पर निर्भरता – अलग-अलग राज्यों में नेट मीटरिंग के नियम अलग होते हैं।
  2. नेट मीटर की स्वीकृति में समय – बिजली कंपनी से अनुमति लेने की प्रक्रिया कभी-कभी लंबी होती है।
  3. सीमा (Cap) – कई जगह नेट मीटरिंग सिर्फ़ एक निश्चित क्षमता (जैसे 10kW या 500kW तक) की अनुमति देती है।

     

बैटरी का विकल्प नहीं – अगर आप अतिरिक्त बिजली को स्टोर करना चाहते हैं, तो बैटरी अलग से लगानी पड़ती है।

भविष्य में नेट मीटरिंग की भूमिका

भारत सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) का हिस्सा और बढ़े। ऐसे में नेट मीटरिंग लोगों को सौर ऊर्जा अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगी।

आने वाले समय में स्मार्ट ग्रिड्स, बैटरी स्टोरेज और IoT टेक्नोलॉजी के साथ नेट मीटरिंग और भी आसान और फायदेमंद हो जाएगी।

निष्कर्ष

सोलर इंस्टॉलेशन में नेट मीटरिंग को समझना बेहद ज़रूरी है, क्योंकि यह न केवल आपकी बिजली की बचत कराता है बल्कि आपको पर्यावरण की रक्षा में भी योगदान देने का मौका देता है।

अगर आप घर या ऑफिस में सोलर पैनल लगाने की सोच रहे हैं, तो नेट मीटरिंग को ज़रूर अपनाएँ। यह आपकी जेब और धरती – दोनों के लिए फायदेमंद है।